पिछले सप्ताह लोकल ट्रेनों के ठप होने के कारण यात्रियों में उपजे गुस्से को नियंत्रित करने में प्रशासन के विफल होने पर शिवसेना ने केंद्र की मोदी सरकार का मजाक उड़ाया।
शिव सेना ने मोदी सरकार के “अच्छे दिन” लाने के वादे पर सवाल किया। उसने पूछा कि आपने लोगों को जो “अच्छे दिन” लाने का वादा किया था वे कहां हैं?
पार्टी के मुखपत्र “सामना” के संपादकीय में लिखा गया है कि यह सच है कि वहां पर प्रदर्शन हो रहे थे जो बाद में हिंसा में परिवर्तित हो गए। लेकिन न तो पुलिस और न ही प्रशासन उस मामले की जांच कराने का इच्छुक लग रहा है, जिससे की उस बात का पता चल सके जिसके कारण लोग हिंसा पर उतर आए।
आगे लिखा गया है कि कांग्रेस शासन में जैसे हालात थे यदि वैसे ही समान घटनाएं जारी रहीं तो फिर कैसे आएंगे अच्छे दिन?
महाराष्ट्र और केंद्र सरकार में शामिल शिवसेना ने कहा कि जिन पार्टियों की तब सरकार नहीं थी उस समय वे कानून को अपने हाथ में लेने की बात सोचती थीं, आज वे सत्ता में हैं। अगर लोगों का यह गुस्सा नाराजगी का परिणाम है तो इस बात को सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि यह कानून व्यवस्था से खिलवाड़ का कारण न बने।
संपादकीय में लिखा गया है कि लोकल टे्रनों की सेवाएं ठप होने के कारण काफी लोगों के कामकाज प्रभावित हुए। परीक्षा देने जाने वाले स्टूडेंट्स को मुश्कि लों को सामना करना पड़ा।
संपादकीय में सवाल किया गया है कि इस घटना के लिए रेलवे के किसी कर्मचारी या अधिकारी की गिरफ्तारी होगा? रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने मोबाइल टिकट सेवा शुरू की। लेकिन टिकट लेने के बाद ट्रेन नहीं चलेगी तो लोग नाराज होंगे।
गौरतलब है कि टे्रनों के बार-बार देर होने के कारण शुक्रवार को स्थानीय यात्रियों ने दीवा स्टेशन पर प्रदर्शन किया था जिसके कारण 6 घ ंटे के लिए मुंबई जैसे ठप हो गई। प्रदर्शन उस समय हिंसक हो गया जब गुस्साए लोगों ने स्टेशन पर पथराव कर दिया।
