यूपी पुलिस में किसी भी अज्ञात या ज्ञात शव को अपने पास रखने का प्रावधान नहीं है। पुलिस के माध्यम से शव मेडिकल कॉलेजों को जरूर दिए जा सकते हैं, लेकिन उन्हें इस्तेमाल करने के बाद धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए डिस्पोजल कर दिया जाता है। यूपी पुलिस से जुड़े एक्सपर्ट्स बताते हैं कि शव का पंचनामा भरने के बाद पोस्टमार्टम होते ही उसके डिस्पोजल की व्यवस्था पुलिस प्रक्रिया का हिस्सा है। ऐसे में पुलिस लाइन में नरकंकाल मिलना संदेहास्पद है। वहीं, जिले के पुलिस अधिकारी इस मामले पर बात करने से बचते नज़र आ रहे हैं।
क्या है शवों के डिस्पोजल की व्यवस्था
शव मिलने पर उसका पंचायतनामा भर उसे सिर्फ पोस्टमोर्टेम (पीएम) के लिए भेजते हैं। पोस्ट मॉर्टम के बाद ज्ञात शव को उसके परिजनों को दे दिया जाता है। अगर शव को लेने कोई नहीं आता तो 72 घंटे तक परिजनों का इंतज़ार करने के बाद पुलिस शव का दाह संस्कार करवाती है। हालांकि इस दौरान उसके सामान और डीएनए को पहचान कराने के लिए ज़रूर पुलिस अपने पास रखती है। शव के पोस्टमार्टम के दौरान शव पर मिले सामान और वेश भूषा के आधार पर उसकी धार्मिक भावनाओ का ध्यान रखा जाता है। पुलिस ट्रेनिंग से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि पीएम में बिसरा सुरक्षित होने की स्थिति में भी सिर्फ शरीर के कुछ हिस्सों को रखा जाता है जिसे जांच के लिए विशेष अनुसंधान लैब भेजा जाता है। ये हिस्से भी पीएम के दौरान डॉक्टर ही केमिकल में रखकर भेजते हैं। हालांकि हड्डियों और कंकाल को रखने का कोई प्रावधान नहीं है।
उन्नाव के पुलिस लाइन में बोरो में भरे हुए नरकंकाल के बारे में राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला के फोरेंसिक एक्सपर्ट डा गयासुद़दीन का कहना है कि कंकालों के माध्यम से कई जांच होती हैं। जब भी कोई मौत संदेहास्पद होती है तो उस स्थिति में पुलिस मौत के कारणों की जांच के लिए कंकाल विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजती है। जहां पर जांच के बाद उसकी रिपोर्ट दी जाती है। नरकंकाल को रखने के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि पुलिस ही जांच के लिए भेजती है, इसलिए वह रख सकती है। जहां तक पुराने नरकंकाल के पाये जाने का मामला है तो पुलिस ने उन्हें डिस्पोज नहीं किया होगा।
नियमत: जांच रिपोर्ट आने के बाद कंकाल को डिस्पोज कर देना चाहिए। वहीं राजधानी के केजीएमयू स्थित मार्च्युरी के प्रभारी डा संजय गुप्ता ने बताया कि नरकंकाल का पीएम होने के बाद विश्लेषण के लिए पुलिस उन्हें फोरेंसिक एक्सपर्ट के पास भेजती है। लेकिन जहां तक कंकाल रखे जाने की बात है तो उसे डिस्पोज कर देना चाहिए था।
