नई दिल्ली। इसमें कोई संदेह नहीं किसी भी देश का मुखिया जब दूसरे देश में जाता है तो उसकी सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी मेजबान देश की ही होती है और होना भी चाहिए। लेकिन, नागरिकों की सुरक्षा को भी अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए। इसी कड़ी में, दिल्ली हाईकोर्ट ने अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा की सुरक्षा के लिए 15000 सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने पर सरकार को लताड़ लगाई है और पूछा है कि आज से पहले कभी जनता के लिए ये सब क्यों नहीं किया गया। इतने कैमरे कभी जनता की सुरक्षा में क्यों नहीं लगाए गए।
उल्लेखनीय है कि मुंबई हमलों का मोस्टवांटेड और पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी सरगना हाफिज मोहम्मद सईद ने ओबामा की भारत यात्रा के दौरान हमले करने की धमकी दी है। इस धमकी में आतंकियों ने उन ठिकानों पर भी हमला करने की धमकी दी है, जहां ओबामा अपनी भारत यात्रा के दौरान जाने वाले हैं। अत: सरकार इस मामले में कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहती क्योंकि हलकी सी चूक से भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी किरकिरी हो सकती है।
दरअसल, अदालत ने उस याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की थी, जिसमें कहा गया था कि जो 15000 सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं, उन्हें ओबामा के जाने के बाद हटाया न जाए। मामले में याचिकाकर्ता एडवोकेट मीरा भाटिया ने अर्जी दाखिल कर कहा कि सरकार सीसीटीवी पर खर्च कर रही है। ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति के वापस जाने के बाद भी ये कैमरे पहले की तरह रहें और इन्हें हटाया न जाए।
उन्होंने कहा कि राजधानी में कानून-व्यवस्था की हालत के मद्देनजर इन कैमरों की जरूरत है। खासकर एंट्री और एग्जिट पॉइंट और दिल्ली में जिन जगहों पर हाई क्राइम जोन बताया गया है, वहां कैमरे जरूरी हैं। याचिकाकर्ता ने कहा कि पहले भी सीसीटीवी लगाने का सुझाव दिया गया था ताकि अपराध और अपराधियों पर नजर रखी जा सके।
याचिका में कहा गया है कि कोर्ट के तमाम आदेश व सुझाव के बावजूद रेप और इस तरह की घटनाओं में कोई कमी नहीं हुई है, बल्कि ये बढ़ी हैं। सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने से ऐसी घटनाएं रोकने में मदद मिलेगी। अत: सीसीटीवी कैमरों को यथावत रखा जाए।