कश्मीर में पिछले कुछ दिनों से एक अजीब सी दहशत का माहौल है। कारण पूरी तरह से स्पष्ट है। जब-जब विश्व की कोई हस्ती भारत आई है, कश्मीर में मासूमों का खून ही बहा है। पहले ही एक बार अमेरीकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के दौरे पर छत्तीसिंहपोरा का भयानक खूनी मंजर देखने वाला कश्मीर सहमा हुआ है। हालांकि सुरक्षाधिकारी आश्वासन तो दे रहे हैं, लेकिन कोई आश्वस्त होने को तैयार नहीं है।
कश्मीर के पुलिस महानिदेशक के राजेंद्रन भी इसे मानते हैं कि कश्मीर में अमेरिकी राष्ट्रपति के दौरे को लेकर दहशत का माहौल है। हालांकि बराक ओबामा का कश्मीर आने का कोई कार्यक्रम नहीं है फिर भी लोग दहशतजदा हैं। लोगों के दहशतजदा होने के कारण भी हैं।
वर्ष 1999 के उस दिन को वे नहीं भूल सकते जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने भारत का दौरा किया था। तब मार्च का महीना था। नतीजा भी सामने था। विश्व समुदाय को अपने तथाकथित ‘जेहाद’ की खबर बताने की खातिर आतंकवादियों ने छत्तीसिंहपोरा में 36 कश्मीरी सिखों को मार दिया था। दुनिया भर में तहलका मच गया था। छत्तीसिंहपोरा का सिखों का नरसंहार कश्मीर में पहली ऐसी घटना थी जिसमें इतनी संख्या में सिखों को कत्ल किया गया था।
माना कि छत्तीसिंहपोरा की घटना को बीते हुए 15 साल होने को आए हैं, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति की 26 जनवरी से आरंभ होने जा रही भारत की तीन दिवसीय यात्रा ने लोगों के जख्मों को हरा कर दिया है। इस नरसंहार के प्रति यह भी एक कड़वी सच्चाई है कि आज तक लोगों को यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि मासूम सिखों को किसने मौत के घाट उतारा था क्योंकि उसकी जांच रिपोर्ट अभी भी सार्वजनिक होने के इंतजार में है।
यही कारण है कि अमेरिका और कश्मीर का ही नहीं बल्कि अब अमेरिकी राष्ट्रपति तथा कश्मीर का नाता भी जुड़ गया है। यह नाता दहशत का है। कश्मीर में हाई अलर्ट जारी किया गया है। अतिरिक्त सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है। हालत यह है कि अब प्रत्येक बरामदगी और आतंकी मौत को अमेरिकी राष्ट्रपति की यात्रा से जोड़ा जा रहा है। वैसे प्रत्यक्ष तौर पर यही कहा जा रहा है कि आतंकवादी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने की कोशिश में हैं तो दबे स्वर में इसे अमेरिकी राष्ट्रपति के आगमन से पहले कश्मीर में हिंसा फैलाने का प्रयास बताया जा रहा है।
अधिकारियों के मुताबिक, इस संबंध में सीमा पार से आतंकवादियों को भी निर्देश दिए जा रहे हैं कि वे अमेरिकी राष्ट्रपति के भारत दौरे के दौरान हिंसा के स्तर को ऊंचा रखें। उनका कहना था कि आतंकवादी प्रयासों को नाकाम बनाने की खातिर सभी प्रबंध किए जा रहे हैं। मगर सुरक्षाबलों की यह कवायद विशेषकर अल्पसंख्यक समुदाय के उन लोगों को आश्वस्त नहीं कर पा रही है जो अतीत में विश्व की हस्तियों के दौरों के दौरान आतंकवादी हमलों के शिकार हो चुके हैं।
इसे सरकारी तौर पर माना जा रहा है कि बराक ओबामा के भारत दौरे पर कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई गई है। विशेषकर उन अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों के लिए अतिरिक्त सुरक्षा प्रबंध किए गए हैं जो आतंकवाद के बावजूद कश्मीर में टिके हुए हैं।