केंद्र सरकार ने मेट्रो रेल नेटवर्क का जाल देश भर में फैलाने की कवायद शुरू कर दी है। सरकार की योजना दस लाख की आबादी वाले शहरों में दौड़ाने की है। इसके लिये मेट्रो प्रोजेक्ट के निवेश मॉडल में सरकार बड़ा बदलाव किया गया है। मेट्रो रेल की नई पॉलिसी में सरकार निवेशक की भूमिका से हट रही है। इसकी जगह पीपीपी मॉडल को बढ़ावा दिया जायेगा। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय अधिकारियों ने मानें तो पॉलिसी का खाका तैयार कर लिया गया है।
मंत्रालय अधिकारियों के मुताबिक, एनसीआर के अलावा मेट्रो रेल का प्रस्ताव अभी तक उन्हीं शहरों के लिये मंजूर किया गया है, जहां की आबादी 20 लाख से ऊपर है। लेकिन बढ़ते शहरी प्रदूषण के मद्देनजर इको फ्रेंडली ट्रांसपोर्ट सिस्टम की जरूरत छोटे शहरों में भी महसूस की जा रही है। ऐसे में 10 लाख की आबादी वाले शहरों को भी मेट्रो रेल के दायरे में लाने पर संजीदगी से विचार हो रहा है।
दूसरी तरफ निवेश के मौजूदा मॉडल में भी बदलाव किया जा रहा है। अभी केंद्र व राज्य सरकार 50:50 फीसदी का खर्च उठाती है लेकिन मेट्रो विस्तार में बड़े पैमाने पर धनराशि की जरूरत होगी। लिहाजा निजी निवेश को आकर्षित करने का नई पॉलिसी में खास जोर है। हर स्तर पर उन्हें निवेश की मंजूरी होगी। निवेशक प्रोजेक्ट को बनाने व चलाने का पूरा जिम्मा अपने हाथ ले सकता है। इसके उलट उसे प्रोजेक्ट विशेष के एक हिस्से में पूंजी लगाने की भी सुविधा होगी।
मंत्रालय अधिकारियों का कहना है कि सैद्धांतिक मंजूरी मिलने के बाद नई पॉलिसी का खाका तैयार कर लिया है। फिलहाल इसकी विस्तृत रिपोर्ट तैयार हो रही है। जल्द ही इसे सार्वजनिक किया जायेगा।
दूसरी तरफ निवेश के मौजूदा मॉडल में भी बदलाव किया जा रहा है। अभी केंद्र व राज्य सरकार 50:50 फीसदी का खर्च उठाती है लेकिन मेट्रो विस्तार में बड़े पैमाने पर धनराशि की जरूरत होगी। लिहाजा निजी निवेश को आकर्षित करने का नई पॉलिसी में खास जोर है। हर स्तर पर उन्हें निवेश की मंजूरी होगी। निवेशक प्रोजेक्ट को बनाने व चलाने का पूरा जिम्मा अपने हाथ ले सकता है। इसके उलट उसे प्रोजेक्ट विशेष के एक हिस्से में पूंजी लगाने की भी सुविधा होगी।
मंत्रालय अधिकारियों का कहना है कि सैद्धांतिक मंजूरी मिलने के बाद नई पॉलिसी का खाका तैयार कर लिया है। फिलहाल इसकी विस्तृत रिपोर्ट तैयार हो रही है। जल्द ही इसे सार्वजनिक किया जायेगा।