लखनऊ . उत्तर प्रदेश में जातीय आधार पर चुनाव लड़ने का खाका तैयार किया जा रहा है। विधानसभावार सीटों के गणित अनुसार प्रत्याशी चयन से लेकर जातीय समीकरण तक की गोटी फिट की जा रही है। इस खेल में बड़ी पार्टियों से लेकर छोटे दल तक शामिल हैं। यूपी की सत्ता के गलियारे में जाने के लिए पूर्वांचल की जातीय समीकरण वाली पार्टियां अब एकसाथ मंच साझा करने जा रही हैं। इसकी पहल की है भासपा के राष्ट्रीय़ अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने। अगर समय रहते किसी बड़े राष्ट्रीय दल के साथ सियासी तार नहीं मिले तो भी इस जातीय समीकरण के सहारे विधानसभा में पहुंचने की रणनीति तैयार हो चुकी है।
पूर्वांचल में ये बिगाड़ेंगे बड़ी पार्टियों के खेल
दरअसल, पूर्वांचल में राजभर, कुशवाहा, बिंद और निषाद का अच्छा वोट बैंक है। इनके साथ आने से पूर्वांचल की कई सीटों पर सियासी समीकरण बदल जाएंगे। इसलिए अब इन्हें एक मंच पर लाने की तैयारी चल रही है। जल्द ही इसका आगाज एक बड़ी जनसभा के साथ होगा। यह जनसभा भी अप्रैल के दूसरे सप्ताह तक करने की तैयारी है। हालांकि कोई भी इस पर खुलकर नहीं बोल रहा है।
ये नेता होंगे एक साथ
यूपी चुनाव में भासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर, जनअधिकार मंच के बाबू सिंह कुशवाहा, फूलन सेना के गोपाल निषाद और जयहिंद समाज पार्टी के नंदलाल बिंद एक मंच आने के लिए तैयार हैं। इनमें बातचीत भी लगभग हो चुकी है। ये पार्टियां यूपी की 156 सीटों पर ताल ठोंकने की तैयारी कर चुकी हैं।
ये है सियासी गणित
पूर्वांचल की कई सीटें ऐसी हैं जहां राजभर, कुशवहा, निषाद और बिंद का गठजोड़ सबपर भारी पड़ सकता है। ऐसे में ये पार्टियां चाहती हैं कि वे किसी बड़े राजनीतिक दल के साथ गठबंधन कर लें ताकि जीत का प्रतिशत बढ़ जाए। हालांकि गठबंधन न होने की स्थिति में भी ये एक साथ चुनाव लड़ने की तैयारी कर चुकी हैं।
