लखनऊ. सीएम अखिलेश यादव ने आखिर अपनी कैबिनेट में बड़ा बदलाव कर ही डाला। उन्होंने अपने आठ मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया जबकि राजा भैया समेत नौ मंत्रियों से उनके विभाग छीन लिए गए। छीने गए विभागों का काम खुद सीएम अखिलेश ही देखेंगे। सीएम ने अपनी सिफारिश राज्यपाल राम नाइक को भेज दी है। हटाए गए मंत्रियों में आजम खान शामिल नहीं हैं। इस कार्रवाई के बाद यूपी में अब सिर्फ 46 मंत्री बचे हैं। जिनके विभाग छीने गए हैं, वे अब बिना विभाग के मंत्री होंगे।
जिन्हें बर्खास्त किया गया?
राजा महेंद्र अरिदमन सिंह | स्टाम्प और नागरिक सुरक्षा मंत्री |
अंबिका चौधरी | पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री |
शिव कुमार बेरिया | वस्त्र और रेशम उद्योग मंत्री |
नारद राय | खादी और ग्रामोद्योग मंत्री |
शिवाकांत ओझा | तकनीक शिक्षा मंत्री |
आलोक कुमार शाक्य | तकनीक शिक्षा राज्य मंत्री |
योगेश प्रताप सिंह | बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री |
भगवत शरण गंगवार | सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग और निर्यात प्रोत्साहन विभाग के राज्य मंत्री |
जिन मंत्रियों से विभाग लिया गया?
अहमद हसन | चिकित्सा मंत्री |
अवधेश प्रसाद | समाज कल्याण मंत्री |
पारस नाथ यादव | फूड प्रोसेसिंग मंत्री |
राम गोविंद चौधरी | बेसिक शिक्षा मंत्री |
दुर्गा प्रसाद यादव | परिवहन मंत्री |
ब्रह्मा शंकर त्रिपाठी | होमगार्ड मंत्री |
रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया | खाद्य और रसद विभाग |
इकबाल महमूद | मछली पालन और पब्लिक एंटरप्राइज मंत्री |
महबूब अली | माध्यमिक शिक्षा मंत्री |
मुलायम के खास पर भी गाज
राजा भैया, अहमद हसन, अंबिका चौधरी, राजा महेंद्र अरिदमन सिंह, दुर्गा प्रसाद यादव और पारसनाथ यादव की गिनती कद्दावर मंत्रियों में होती थी। इन सभी को सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव का भी खास माना जाता है। बताते चलें कि बीते कई महीनों से मुलायम अखिलेश से सार्वजनिक मंचों से कहते रहे थे कि वे चरण वंदना करने वालों को हटाएं।बार यह कहते सुने गए कि मेरे विभाग का बजट ही कम है तो मैं क्या करूं।
-इसके अलावा, लोकसभा चुनाव में हार के कारण तलाशने के लिए बुलाई गई समीक्षा बैठक में मुलायम ने भी सबके सामने बेरिया को फटकार लगाई थी। कहा जा रहा है कि बेरिया तीन सालों में नेतृत्व के सामने खुद को प्रूफ नहीं कर पाए।
-इसके अलावा, लोकसभा चुनाव में हार के कारण तलाशने के लिए बुलाई गई समीक्षा बैठक में मुलायम ने भी सबके सामने बेरिया को फटकार लगाई थी। कहा जा रहा है कि बेरिया तीन सालों में नेतृत्व के सामने खुद को प्रूफ नहीं कर पाए।
शिवाकांत ओझा
-कहा जाता है कि शिवाकांत ओझा के कैबिनेट में अंतिम दिन तभी शुरू हो गए थे, जब उन्होंने पिछले साल चेकडैम घोटाले की जानकारी मीडिया में लीक कर शिवपाल यादव गुट के मंत्री राजकिशोर सिंह को खुली चुनौती दी थी। इस घोटाले को लेकर सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। जिससे शिवपाल यादव भी खूब परेशान हुए थे।
-कहा जाता है कि शिवाकांत ओझा के कैबिनेट में अंतिम दिन तभी शुरू हो गए थे, जब उन्होंने पिछले साल चेकडैम घोटाले की जानकारी मीडिया में लीक कर शिवपाल यादव गुट के मंत्री राजकिशोर सिंह को खुली चुनौती दी थी। इस घोटाले को लेकर सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। जिससे शिवपाल यादव भी खूब परेशान हुए थे।
योगेश प्रताप सिंह
-योगेश के हटने का सबसे बड़ा कारण यही रहा है कि शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापकों के तौर पर नौकरी दिलवाने की जिम्मेदारी उन्हीं के ऊपर थी। लेकिन जिस तरह से पिछले दिनों शिक्षामित्रों के मामले पर सरकार की फजीहत हुई है, उससे योगेश का जाना तय हो गया था।
-योगेश के हटने का सबसे बड़ा कारण यही रहा है कि शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापकों के तौर पर नौकरी दिलवाने की जिम्मेदारी उन्हीं के ऊपर थी। लेकिन जिस तरह से पिछले दिनों शिक्षामित्रों के मामले पर सरकार की फजीहत हुई है, उससे योगेश का जाना तय हो गया था।