लखनऊ. राजधानी लखनऊ में कुर्बानी का पर्व बकरीद शुक्रवार को मनाया जा रहा है। यहां मिसाल पेश करते हुए शिया-सुन्नी ने एक साथ बकरीद की नमाज अदा की। हजरतगंज स्थित सिब्तैनाबाद इमामबाड़ा में सुन्नी उलेमा ने नमाज पढ़वाई। इसमें शहर के कई जाने-माने लोगों के साथ सैकड़ों की संख्या में मुसलमान भाई शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने हज में हुई हाजियों के मौत पर उनकी आत्मा की शांति के लिए भी दुआएं मांगी मुसलमानों में अक्सर शिया-सुन्नी को लेकर विवाद होता रहा है। दोनों समुदायों के बीच दूरियां न बढ़ें, इसके लिए कई कोशिशें हुई हैं। इसके बावजूद सफलता नहीं मिली। अब इसी दूरी को कम करने के लिए ‘शोल्डर टू शोल्डर’ शिया-सुन्नी ब्रदरहुड संस्थान ने एक नई पहल की शुरुआत की। इसके तहत आज हजरतगंज स्थित सिब्तैनाबाद इमामबाड़ा में शिया और सुन्नी भाइयों ने सुबह 8 बजे साथ में नमाज पढ़ी।
शिया धर्मगुरु भी रहे मौजूद
सिब्तैनाबाद इमामबाड़े में शिया धर्मगुरु मौलाना डॉ. कल्बे सादिक ने कहा, “लोग मजहब के नाम पर एक-दूसरे को लड़ाते हैं, जबकि ऐसी लड़ाई में धर्म कही नहीं होता है। ऐसी लड़ाई में सिर्फ पॉलिटिक्स होती है। आप लोग ऐसे लोगों से संभल कर रहें।” उन्होंने कहा, “मुसलमान भाई न सिर्फ शिया-सुन्नी से मिले, बल्कि हिंदू और दूसरे धर्म के लोगों से भी मिले। अल्लाह ने जो जिस्म आपको दी है उसको तरजीह दे। दुआ करते हुए सच के पीछे चले सत्ता की पीछे नहीं।”
किसी का गला काटने का पैगाम नहीं देता इस्लाम
शिया धर्मगुरु ने कहा, “मक्का में जो शहीद हुए हैं, उनके लिए भी आज दुआ करें। इस्लाम लोगों से गले मिलने का पैगाम देता है किसी का गला काटने का नहीं। कुर्बानी के बगैर कोई मजहब आगे नहीं बढ़ सकता है। जब नीचे वाला कुर्बानी देता है, तो ऊपर वाला रहमत देता है।”
लड़ाने वालों से सावधान
डॉ. सादिक ने आगे बताया, “97 फीसदी हमारे लोग एकता के साथ रहते हैं, सिर्फ 3 फीसदी लोगों की मानसिकता में भिन्नता है। दूसरे लोग इसी का फायदा उठाते हैं। ऐसे लोगों से सभी को सावधान रहना चाहिए।” उन्होंने कहा, “यह मुल्क आप सभी लोगों का है। आपमें से कोई इससे नफरत नहीं करता है। अगर मोहब्बत करते हैं और जाहिर नहीं करते, तो कोई फायदा नहीं है। इसलिए मोहब्बत सिर्फ दिल से ही नहीं जुबान से भी जाहिर करें।”
शिक्षा पर दे जोर
डॉ. सादिक ने एक बार फिर कौम को लोगों को शिक्षा के क्षेत्र के लिए काम करने का संदेश दिया। उन्होंने बताया कि वह लड़कियों के लिए कलेज खोलना चाहते हैं, लेकिन इसकी फाइल पिछले 7 सालों से लटकी है। उन्होंने बताया, “मेरा तो यही मानना है कि शिक्षा के क्षेत्र में ज्यादा काम करना चाहिए, ताकि हर किसी का भला हो सके।”