लखनऊ. पिछले कुछ सालों में राजधानी में अपार्टमेंट कल्चर तेजी से बढ़ा है, लेकिन इसी कल्चर ने शनिवार को बाशिंदों की जान आफत में डाल दी। गोखले मार्ग के रेजीडेंशियल अपार्टमेंट हो या फिर हजरतगंज के सरकारी और गैर सरकारी व्यवसायिक भवन। भूकंप के दौरान इन सभी बिल्डिंगों में मौजूद लोगों को बचने के लिए नीचे उतरने में काफी परेशानी हुई। हालांकि किसी के भी हताहत होने की खबर नहीं है, लेकिन भूकंप की तीव्रता यदि अधिक होती तो इनके जान पर बन सकती थी।
इन दिनों लोगों के मन में रसूख और सुरक्षा को देखते हुए मल्टीस्टोरी का चलन बढ़ गया है। शनिवार और रविवार को जब भूकंप आया तो लोगों को इन्हीं इमारतों से उतरने में पसीने छूट गए। हजतरगंज स्थित पॉवर कॉपरपोरेशन के चौदह मंजिला शक्ति भवन से नीचे उतरने के दौरान लोगों की जान अटक गई। यहां काम करने वाले दिनेश ने बताया कि जब भूकंप आया तब वह बारहवीं मंजिल पर थे। सीढ़ियों से नीचे उतरते ही कंपन भी खत्म हो गया। उनका कहना है कि यदि भूकंप की तीव्रता अधिक होती तो कुछ भी हो सकता था।
वहीं, गोखले मार्ग स्थिति एक अपार्टमेंट में रहने वाली अर्पिता श्रीवास्तव ने कहा कि उन्हें वाकई अपार्टमेंट में रहने को लेकर घबराहट हुई। उन्होंने कहा कि चार मंजिल से नीचे उतरने में उन्हें बहुत मुश्किल हुई। यदि वह बंगले में होती तो जल्दी से ही घर के बाहर निकलती सकती थीं। ऐसा माना जाता है कि सुरक्षा के लिहाज से अपार्टमेंट कल्चर बेहद फायदेमंद है। यही कारण है कि राजधानी में लगातार अपार्टमेंट और मल्टीलेवल बिल्डिंग धड़ल्ले से बन रही हैं।
आंकड़ों की मानें तो पिछले तीन साल में राजधानी में हुए नए निर्माण में साठ फीसदी हिस्सा कई मंजिला भवनों का है। इन भवन को बनाने के दौरान भले ही भूकंप रोधी सुरक्षा के उपाय न किए जाते हों, लेकिन हर बिल्डिंग इन्हें सुरक्षा का दावा करती हैं। शनिवार को भूकंप के समय बैंकों में लोग पैसे जमा करने और निकालने आ रहे थे। तभी भूकंप आने से घबराए बैंककर्मी और ग्राहक सभी अपने कागज और पैसे छोड़कर बाहर निकल आए। यह हाल करीब हर बैंक के साथ हुआ।