आगरा ! घर में अन्न का एक दाना नहीं है, बेटी बीमार हुई तो इलाज कराने के लिए पैसे नहीं थे, उसने 28 अप्रैल को दम तोड़ दिया, अब दूसरी बेटी की भी तबीयत खराब है, कोई तो मेरी मदद करे…। यह गुहार आगरा के वॉटरवर्क्स चौराहे के पास मलिन बस्ती में किराए पर रहने वाले जूता कारीगार राम सिंह की है। लॉकडाउन में गरीब पिता की गुहार के बाद कई लोग उसकी मदद को आगे आए हैं।
उसने आसपास के लोगों से बुधवार को कहा कि अब बहुत मुश्किल हो रही है। 28 अप्रैल को उसकी 11 साल की बेटी वैष्णवी ने दम तोड़ दिया। वो बीमार थी, लेकिन दवाई तो दूर उसे खिलाने के लिए उसके पास खाना तक नहीं था। लकड़ियां बीनकर यमुना किनारे उसका दाह संस्कार किया। अब उससे बड़ी बेटी दीपेश की तबीयत खराब है। उसे कहां ले जाए क्योंकि उसके पास पैसा नहीं है।
राम सिंह ने बताया कि वो ठेके पर फिटर का काम करता है। लॉकडाउन में बेरोजगार है। पत्नी बबिता, बेटी दीपेश (13), परी (सात), बेटे भारत (पांच) का पेट भरना बहुत मुश्किल हो रहा है। चूल्हा ठंडा है। सिलिंडर में गैस तक नहीं है।