
कामरेड महेश चकरनगर के अंतर्गत तेजीपुर पट्टी के रहने वाले थे। उनके पिता जसवंत सिंह भी स्वतंत्रता सेनानी थे। कामरेड महेश 1942 में भारत छाेड़ो आंदाेलन के दौरान काॅलेज छोड़कर आजादी की जंग में कूदे। जेल में कामरेड सुदर्शन के जरिए वे कम्युनिस्ट आंदोलन से जुड़ गए। बलराम दुबे के साथ वे इटावा में कम्युनिस्ट पार्टी आैर किसान सभा के संस्थापकाें में से एक थे। अंडमान में काले पानी की सजा काटकर आए कामरेड शंभूनाथ आजाद के नेेतृत्व में उन्होंने इटावा में भूमिहीन गरीब किसानों की लाल सेना का गठन किया था। 30 मार्च काे उनके नेतृत्व में जिला किसान सम्मेलन केेे बाद 1 अप्रेल, 1947को रोशनपुर के सामंतों ने कपट पूर्ण तरीके से उनकी हत्या कर दी थी। वे इटावा आैरैया के सामंतवाद विरोधी- साम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष के शहीद थे।