

अब आलम यह है की दुर्लभ दस्तावेज, लेटर, गजेटियर डाक टिकट, सिक्के, स्मृति चिन्ह, समाचार पत्र, पत्रिका, पुस्तकें, तस्वीरें, पुरस्कार, सामग्री-निशानी, अभिनंदन ग्रंथ, पांडुलिपि आदि के गिफ्ट करने के लिए लोग उन्हें फोन करने लगे है ऐसे में अब पोरवाल जी पूरी तरह से आश्वस्त हैं और उन्हें विश्वास हो चला है की ज्ञानकोष से चंबल संग्रहालय समृद्ध हो रहा है यहाँ शोधार्थियों का आना जाना शुरू हो गया है शीघ्र ही इसका डिजिटाइजेशन भी होने जा रहा है श्री पोरवाल जी के मुताबिक चंबल संग्रहालय में आठ कांड की रामायण, जिसमें लव कुश कांड भी है। प्राचीन गीता, संस्कृत और उर्दू में साथ-साथ लिखी दुर्लभ मनुस्मृति तो है हीवर्ष 1913 में छपी ए.ओ. ह्यूम की डायरी, प्रभा पत्रिका के सभी अंक, चांद का जब्तशुदा फांसी अंक और झंडा अंक, गणेश शंकर विद्यार्थी जी द्बारा अनुदित बलिदान और आयरलैण्ड का इतिहास पुस्तक जिसे पढ़कर नौजवान क्रांतिकारी बनने का ककहरा सीखते थे की मूल प्रति सहित तमाम गजेटियर, क्रांतिकारियों के मुकदमें से जुड़ी फाइलों के अलावा देश और विदेश की 18वी और 19वी शताब्दी के हर मुद्दों की दुर्लभ किताबों का जखीरा यहाँ मौजूद है, सरस्वती, माधुरी, विश्वमित्र, कादम्बिनी ,चांद, प्रभा, सुधा, विश्व मित्र, सुकवि, उनके साथ इस संग्रहालय में मैंने खुद देखा की नवजीवन, विशाल भारत, हंस, सारिका, धर्मयुग, दिनमान, साप्ताहिक हिन्दुस्तान आदि सहित देश-विदेश की सात हजार दुर्लभ पत्रिकाओं के अलावा यहाँ प्रमूख साहित्यकारों की दुर्लभ कृतियां मौजूद हैं। आजादी आंदोलन के दौरान के तमाम साहित्य का जखीरे के साथ यहाँ विभिन्न पत्रिकाओं के प्रवेशांक भी मौजूद है। संग्रहालय में करीब तीन हजार प्राचीन सिक्कों का कलेक्शन भी मौजूद है।
कहना ना होगा अपने आप में अद्भुत तरीके के इस संग्रहालय को भव्य रूप देने में कृष्णा पोरवाल जी का श्रम और जूनून काबिले तारीफ है उसी का नतीजा है की आज इस संग्रहालय की चर्चा देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक जा पहुंची है मात्र एक साल में इस संग्रहालय को क्षितिज तक ले जाने में पोरवाल जी की तपस्या भी सच में अद्भुत ही है.