लखनऊ ब्यूरो
* * * * * *
देश में लगभग 60% से अधिक पिछड़ा वर्ग है. इस पिछड़े वर्ग की विभिन्न जातियों में लेखन से जुड़े बौद्धिक लोग जैसे पत्रकार, साहित्यकार और अन्य बौद्धिक श्रेणी जैसे कलाकार नाम मात्र हैं ,यहां तक कि इतने कम कि कोई प्रतिशत ही न बन पाए , मूल कारण यह रहा कि ये जातियां मुख्यतः खेती से सदियों से जुड़ी रहीं और आज भी खेती किसानी ही मुख्य पेशा बना हुआ है !
राजकुमार सचान होरी जो कि पिछड़े वर्ग की कुर्मी जाति से आते हैं और देश के वरिष्ठ साहित्यकार हैं तथा विभिन्न साहित्यिक, सामाजिक संस्थाओं सेभी जुड़े हैं श्री सचान भारत सरकार की संस्था नागरी लिपि परिषद, गांधी स्मारक निधि, राजघाट, नई दिल्ली के संयुक्त सचिव/मंत्री हैं और पूर्व प्रशासनिक अधिकारी भी हैं , होरी के विशेष प्रयत्नों से 16 जुलाई 2017 को गाजियाबाद, उ प्र में पिछड़े वर्ग के पत्रकारों, लेखकों, कवियों, रचनाकारों का एक भव्य सम्मेलन हुआ था जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से आये लोगों ने भाग लेकर एक नया इतिहास बनाया ,यह होरी जी का प्रथम प्रयास और प्रयोग था जिसमें पिछड़ा वर्ग के पत्रकारों, रचनाकारों का संगठन तैयार हुआ ,
पिछड़ा वर्ग लेखक संघ (पिलेस) ,पिछड़ा वर्ग पत्रकार संघ आदि विभिन्न इकाइयां गठित होने के बाद काम करते हुये सतत् जागरण कर रही हैं , इसी क्रम में 16 /07/2017 के बाद दूसरी बैठक कर राजकुमार सचान होरी के मुख्य संयोजन में एच एल एस कालेज, देवमनपुर, घाटमपुर, कानपुर नगर में 28 जनवरी 2018 को 11 बजे से 6 बजे तक “बौद्धिक संघ सम्मेलन ” के रूप में पुनः सम्मेंंलन आयोजित किया जा रहा हैै जिसका विषय है सामाजिक, राजनैतिक क्रांति — लेखन के रास्ते ” जिसमें केवल पत्रकार, साहित्यकार, कलाकार ही भाग लेंगे , कार्ययक्रम तीन सत्रों में होगा ……..(. 1 ) जनपद स्तर पर समाचार पत्रों का प्रकाशन (2) पुस्तकों का अधिकाधिक प्रकाशन (3) काव्य पाठ. अंतिम सत्र के साथ सराहनीय कार्य करने वालों — पत्रकारों और कवियों, लेखकों, कलाकारों के सम्मान का कार्यक्रम भी होगा ,इसी कार्यक्रम में संचालन समितियों का गठन किया जायेगा जो विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन और संचालन का कार्य देखेंगी़ इस कार्यक्रम के पश्चात तीन माह पश्चात मध्य प्रदेश के किसी शहर में और उसके बाद मुम्बई में कार्यक्रम प्रस्तावित हैं ।
कहना ना होगा जो समाज, वर्ग अपने बौद्धिक वर्ग का जितना ही लालन, पालन और पोषण करता है वह स्थाई रूप से अग्रणी होता है , सामाजिक, राजनैतिक क्रांति का रास्ता लेखन से होकर ही गुजरता है ।
