श्रीलंका एक ऐसा देश है जो प्रकृति सौंदर्य और कला संस्कृति से भरा हुआ है। यहां के मंदिर, बड़े चाय बागान, समुद्री बीच और पहाड़ पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं। भारत से बाहर जाकर भी जिन देशों में भारत जैसा ही व्यवहार और एहसास मिलता है उसमें एक है श्रीलंका। चारों तरफ हिन्द महासागर से घिरे इस छोटे से देश का भारत के साथ सांस्कृतिक रिश्ते कब से चले आ रहे हैं, इसका ठीक से अंदाजा लगा पाना बहुत ही मुश्किल है। भारतीय पौराणिक काव्यों में इस स्थान का वर्णन लंका के रूप में किया गया है। जहां पर सर्वप्रथम भगवान शंकर ने मां पार्वती के कहने पर स्वर्ण महल बनवाया था, किंतु गृह प्रवेश की पूजा कराने के लिए आए ब्राह्मण रावण ने दक्षिणा में लंका को ही मांग लिया। बाद में जब रावण माता सीता को हर लाएं और प्रभु श्रीराम से युद्ध करने आदि का वर्णन काव्यों में मिलता है। तीसरी सदी ईसा पूर्व में मौर्य सम्राट अशोक के पुत्र महेंद्र के यहां आने पर बौद्ध धर्म का आगमन हुआ। मूंगे और पन्ने की चट्टानों वाला यह देश जितना सुंदर है, उतना ही जीवंत भी। विभिन्न संस्कृति और सभ्यता वाले इस देश में आपके लिए वह सब कुछ है जिसकी चाहत एक पर्यटक को हो सकती है। किंतु बौद्ध धर्म का प्रभाव यहां सबसे अधिक है। खान-पान और स्वादिष्ट व्यंजनों से लेकर खरीदारी के लिए कीमती रत्न जेवरात, तरह-तरह के वन्य जीवों से भरे राष्ट्रीय पार्क सुंदर समुद्र तट, रोमांच प्रेमियों के लिए पर्यटन से जुड़े कई खेल और आस्थावान लोगों के लिए मंदिर व मस्जिद के अलावा इस छोटे से द्विप में सैर-सपाटे का पूरा खजाना उपलब्ध है।
श्रीलंका की घुमक्कड़ी शुरुआत आमतौर पर उसकी राजधानी कोलंबो से की जाती है। आस्थावान लोगों के लिए भी यह बहुत महत्वपूर्ण जगह है। यहां बौद्ध तथा हिंदू मंदिर, ईसाइयों के गिरजाघर व मस्जिदें भी अवस्थित हैं। यदि यहां डच संस्कृति की जीवंतता देखना चाहते हैं तो तटीय शहर गाले जरुर जाएं। रत्नापुरा श्रीलंका का रत्नों का शहर है। कैंडी खूबसूरत पहाड़ी राजधानी है। पारदोनिया गार्डंेन में पेड़-पौधों व फूलों की आश्चर्य जनक किस्में हैं। अगर आप रोमांचक पर्यटन के शौकीन हैं तो श्रीलंका आपके लिए उपयुक्त जगह है। रॉक क्लाइंबिंग, सी सर्फिंग तथा हाइकिंग, कयाकिंग, रिवर राफ्टिंग आदि यहां खूब होती है। नुवाराएलिया, नुवाराएलिया पर्वत से निकली केनाली नदी को कोलंबो की जीवन रेखा माना जाता है। नुवाराइलिया समुद्र सतह से 2000 मीटर की ऊंचाई पर बसा एक पहाड़ी शहर है। नेल्लु पुष्प जो 14 वर्षों में एक बार खिलता है, के नाम पर इस जगह का नाम नुवाराइलिया पड़ा। यहीं पर रामायण में वाणिज्य ’अशोक वाटिका’ स्थित है। ऐसी मान्यता है कि रावण ने माता सीता का हरण कर यहीं रखा था। वर्तमान में यहां प्रभु श्री राम और माता सीता की भव्य और सुंदर मंदिर है। यहां पर्यटकों का ताता लगा रहता है। हनुमान जी के पैर के निशान भी यहां आज भी विद्यमान है।
खरीदारी के शौकीन लोगों के लिए श्रीलंका अच्छी जगह है। कोलंबो में आप नए फैशन के कपड़े के अलावा रत्नों व जेवरों के व्यापार के लिए बहुत पहले से प्रसिद्ध है। यहां शुद्धता की दृष्टि से अच्छे रत्न तो मिलते ही हैं, कई जगह की तुलना में सस्ते भी होते हैं। यही वजह है कि यहां आने वाले सर्वाधिक लोग रत्न खरीदना पसंद करते हैं। कैंडी स्मृति चिन्हों की खरीद के लिए भी एक आकर्षक जगह है। यहां लकड़ी, तांबा, पीतल, चांदी और काम से के सामान खरीदे जा सकते हैं। चाय भारत के अलावा अगर किसी और देश में अच्छी मिलती है तो वह श्रीलंका ही है। आप चाहे तो यहां से चाय भी खरीद सकते हैं। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बेंगलूरू, हैदराबाद समेत देश के कई प्रमुख शहरों से फ्लाइट के माध्यम से कोलंबो जा सकते हैं। साथ ही पर्यटन के क्षेत्र में समृद्धि और विख्यात होने के कारण अन्य देशो के सैलानियों से यह देश साल भर भरा रहता है।
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