योग संपूर्ण विज्ञान है जिसका सरोकार श्रृष्टि के भौतिक अथवा व्यक्त और सुक्ष्म अथवाअव्यक्त, सभी पहलुओं से है| मनुष्य श्रृष्टि के व्यक्त और अव्यक्त पहलुओं का भाग बन जाताहै| अव्यक्त सेही व्यक्त जगत की उत्पत्ति होती है और ये दोनों पहलू इसी संयुक्त संपूर्ण श्रुष्टीके ही भाग हैं|योग की सभी सिद्धियाँ एवं अनुभव और योगसूत्रों में दिया गया ज्ञान यथार्थ है जिसकासफलतापूर्ण प्रयोग कई हजारों वर्षों से होता आ रहा है (मैंने इस लेख के साथ ध्यान आश्रम केसाधकोंद्वारा किये गए हवनों में होनेवाले दिव्य दर्शन के वास्तविक छायाचित्र दिएँ हैं)| आदरणीय
प्रधानमंत्री के प्रयास से इस अभूतपूर्व विज्ञान को विश्वभर में सराहा जा रहा है| आवश्यकता हैवैदिक ऋषियों की इस धरोहर को गुरु सानिध्य में असल रूप में अभ्यास में लाने का|आइये, अब हम मानव शरीर के उपचार एवं स्वास्थ्य के कुछ बुनियादी पहलुओं पर विचार करतेहैं|
वैदिक विज्ञान की शक्ति और प्रभाव के मूलभूत अनुभव लेने के लिए एवं उनके शरीर परहोनेवाले परिणाम को देखने के लिए आप सनातन क्रिया का अभ्यास शुरू कर सकते हैं, जोअत्यंत सुगम है और जिसका सहजता से आधुनिक जीवनशैली में समावेश किया जा सकता है|यह क्रिया देश के कई प्रख्यात डॉक्टरों द्वारा प्रमाणित है|वैदिक यज्ञ एक और साधन है जो कि वैदिक ऋषियों ने मानव कल्याण के लिए सुनिश्चितकिया है| यज्ञ हमारे सुक्ष्म शरीर को सशक्त व निर्मल बनाते हैं जिसका सीधा प्रभाव हमारे स्थूलशरीर की आभा और शक्ती में अवतरित होता है|
