इस सर्दी के मौसम में जहां ठंडे पानी नहाने में सबको डर लगता है वहीं एक बुजुर्ग ऐसे है जो बर्फ की सिल्ली पर सोते हैं। अगर वह दिन में बर्फ न खा लें तो उनको चैन नहीं आता। गर्मी में अगर रजाई और अलाव न मिले तो बुजुर्ग को नींद नहीं आती और कंपकंपी चढ़ी रहती है।
शायद यह बात सुनकर सब आश्चर्यचकित हो जाए। लेकिन क्षेत्र के गांव डेरोही अहीर के रहने वाले संतलाल का शरीर ऐसा है जिनका शरीर मौसम के विपरीत काम करता है। गर्मी में रजाई मिले तो ही रात को नींद आती है। दिन में दो-तीन बार अलाव के आगे बैठने पर ही गर्मी के मौसम में लगी सर्दी उतरती है।
सर्दी के मौसम में जोहड़ या नहर में दिन में कम से कम तीन बार नहाना। घर पर बर्फ की सिल्ली पर सोना और बर्फ खाना। यह सब आम दिनचर्या है। जिस तरह नशा करने वाले को नशीली वस्तु जब तक ना मिले, तब तक वह तड़फता है।
ठीक उसी तरह अगर इस बुजुर्ग को गर्मी में आग और सर्दी में बर्फ समय पर ना मिले तो समझो शरीर व दिमाग में हड़बड़ाहट शुरू हो जाती है। आम जनों से अलग अंदाज के कारण क्षेत्र के लोग इस बुजुर्ग को ‘मौसम विभाग’ के नाम से पुकारते हैं।
वैसे इस शख्स का असली नाम संतलाल है। 60 बरस के इस बुजुर्ग का शरीर बचपन से ही इसी विपरीत मौसम से चल रहा है। अब तो परिजनों को भी यह आम बात लगने लगी है।
शायद यह बात सुनकर सब आश्चर्यचकित हो जाए। लेकिन क्षेत्र के गांव डेरोही अहीर के रहने वाले संतलाल का शरीर ऐसा है जिनका शरीर मौसम के विपरीत काम करता है। गर्मी में रजाई मिले तो ही रात को नींद आती है। दिन में दो-तीन बार अलाव के आगे बैठने पर ही गर्मी के मौसम में लगी सर्दी उतरती है।
सर्दी के मौसम में जोहड़ या नहर में दिन में कम से कम तीन बार नहाना। घर पर बर्फ की सिल्ली पर सोना और बर्फ खाना। यह सब आम दिनचर्या है। जिस तरह नशा करने वाले को नशीली वस्तु जब तक ना मिले, तब तक वह तड़फता है।
ठीक उसी तरह अगर इस बुजुर्ग को गर्मी में आग और सर्दी में बर्फ समय पर ना मिले तो समझो शरीर व दिमाग में हड़बड़ाहट शुरू हो जाती है। आम जनों से अलग अंदाज के कारण क्षेत्र के लोग इस बुजुर्ग को ‘मौसम विभाग’ के नाम से पुकारते हैं।
वैसे इस शख्स का असली नाम संतलाल है। 60 बरस के इस बुजुर्ग का शरीर बचपन से ही इसी विपरीत मौसम से चल रहा है। अब तो परिजनों को भी यह आम बात लगने लगी है।